Alif Lam Mim Surah In Hindi

alif lam

Alif Lam Mim Surah in Hindi with Tarjuma: – दोस्तों अगर आप भी चाहते हैं कि अलिफ़ लाम मीम सूरह को हिंदी में तर्जुमा के साथ पढ़ें, तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।

इस पोस्ट में हमने सूरह बक़रह यानि अलिफ़ लाम मीम सूरह के रुकू 1-16 तक हिंदी में तर्जुमा के साथ मौजूद कराये हैं।

alif lam

सूरह बक़रह या अलिफ़ लाम मीम सूरह कुरान की दूसरी सूरह है जो कि पारा 1-3 में मौजूद है। अलिफ़ लाम मीम (Alif Lam Mim Surah in Hindi) मदनी सूरह है। इसमें कुल 286 आयतें और 40 रुकूअ हैं।

सूरह का नामसूरह बक़रह (Alif Lam Mim Surah)
पारा नंबर1-3
कहाँ नाज़िल हुई?मदीना
कुल रुकुअ40
कुल आयतें286
कुल शब्द6140
कुल अक्षर26249

Alif Lam Mim Surah In Hindi

रुकू- 1

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
(अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है

अलिफ्-लाम्-मीम् (1)
अलीफ़ लाम मीम (1)

जालिकल्-किताबु ला रै-ब फ़ीहि हुदल्लिल्-मुत्तकीन (2)
यह किताब है इसमें कोई शक नहीं परहेजगारों के लिए हिदायत है। (2)

अल्लज़ी-न युअमिनू-न बिल-गैबि व युक़ीमूनस्सला-त व मिम्मा र-ज़क़्नाहुम् युन्फिकून (3)
जो ग़ैब पर ईमान लाते हैं और करते हैं नमाज़, और जो कुछ हमने उनको दिया है उसमें से ( राहे खुदा में ) ख़र्च करते हैं। (3)

वल्लज़ी-न युअ्मिनू-न बिमा उन्ज़ि-ल इलै-क वमा उन्जि-ल मिन् कब्लि-क व बिल्-आखि-रति हुम् यूकिनून (4)
और जो लोग उस पर ईमान लाते हैं जो आप पर नाज़िल किया गया, और जो आप से पहले नाज़िल किया गया और वह आख़िरत पर यक़ीन रखते हैं। (4)

उलाइ-क अला हुदम्-मिर्रब्बिहिम् व उलाइ-क हुमुल्-मुफ़लिहून (5)
वही लोग अपने रब की तरफ से हिदायत पर हैं और वही लोग कामयाब हैं। (5)

इन्नल्लज़ी-न क-फरू सवाउन् अलैहिम् अ-अन्जर-तहुम् अम् लम् तुन्जिरहुम ला युअमिनून (6)
बेशक जिन लोगों ने कुफ्र किया उनके लिए बराबर है ( ऐ रसूल ) आप उन्हें डरायें या न डराये, वे ईमान नहीं लाएंगे। (6)

ख-तमल्लाहु अला कुलूबिहिम् व अला सम्अिहिम् व अला अब्सारिहिम् गिशा-वतुंव-व लहुम् अज़ाबुन् अज़ीम (7)*
अल्लाह ने उनके दिलों पर और उनके कानों पर मुहर लगा दी है। और उनकी आँखों पर पर्दा है और उनके लिए बड़ा अज़ाब है। (7)

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 2

व मिनन्नासि मंय्यकूलु आमन्ना बिल्लाहि व बिल्यौमिल्-आखिरि व मा हुम् बिमुअमिनीन •(8)
और कुह लोग हैं जो कहते हैं, हम ईमान लाये अल्लाह पर और आखिरत के दिन पर और वह ईमान बाले नहीं। (8)

युख़ादिअूनल्ला-ह वल्लज़ी-न आमनू , व मा यख्दअू-न इल्ला अन्फुसहुम् व मा यश्अुरून (9)
खुदा को और उन लोगों को जो ईमान लाए धोखा देते हैं हालाँकि वह अपने आपको धोखा देते हैं और वे नहीं समझते हैं। (9)

फ़ी कुलू बिहिम् म-र-जुन् फ़ज़ा-दहुमुल्लाहु म-र-जन् व लहुम् अज़ाबुन् अलीमुम् बिमा कानू यक्ज़िबून (10)
उनके दिलों में बीमारी है, सो अल्लाह ने उनकी बीमारी बढ़ा दी, और उनके लिए दर्दनाक अजाब है, क्यूंकि वो झूठ बोलते हैं। (10)

व इज़ा की-ल लहुम् ला तुफ्सिदू फिलअर्ज़ि कालू इन्नमा नहनु मुस्लिहून (11)
और जब उनसे कहा जाता है कि जमीन पर फसाद ना फैलाओ, ( तो ) कहते हैं कि हम तो सिर्फ इसलाह करने वाले हैं। (11)

अला इन्नहुम् हुमुल-मुफ्सिदू-न व ला किल्ला यश्अुरून (12)
सुन रखो, बेशक वही लोग फसाद करने वाले हैं लेकिन समझते नहीं। (12)

व इज़ा की-ल लहुम् आमिनू कमा आ-मनन्नासु कालू अनुअ्मिनु कमा आ-मनस् सुफ़-हा-उ , अला इन्नहुम् हुमुस्-सुफ़-हा-उ वला किल्ला यअलमून (13)
और जब उनसे कहा जाता है कि जिस तरह और लोग ईमान लाए हैं तुम भी ईमान लाओ। तो कहते हैं क्या हम भी उसी तरह ईमान लाए जिस तरह और बेवकूफ़ लोग ईमान लाए? सुन लो वे लोग खुद ही बेवकूफ हैं लेकिन नहीं जानते। (13)

व इज़ा लकुल्लज़ी-न आमनू कालू आमन्ना व इज़ा खलौ इला शयातीनिहिम् कालू इन्ना म-अकुम् इन्नमा नहनु मुस्तहज़िऊन (14)
और जब उन लोगों से मिलते हैं जो ईमान लाए तो कहते हैं हम तो ईमान ला चुके और जब अपने शैतानों के साथ अकेले होते हैं तो कहते हैं हम तुम्हारे साथ हैं हम तो महज़ मज़ाक करते हैं। (14)

अल्लाहु यस्तहज़िउ बिहिम् व यमुद्दुहुम फ़ी तुगयानिहिम् यअमहून (15)
अल्लाह उनसे मज़ाक करता है उनको उनकी सरकशी में बढ़ाता है, वे अंधे हो रखे हैं। (15)

उलाइ-कल्लज़ी-नश्त-र वुज़ ज़ला-ल-त बिल्हुदा फ़मा रबिहत्-तिजारतुहुम् व मा कानू मुह्तदीन (16)
यही वह लोग हैं जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही मोल ली , तो उनकी तिजारत ने कोई फायदा न दिया और न वह हिदायत पाने वाले थे। (16)

म-स-लुहुम् क-म-सलिल्-लज़िस्तौ-कद नारन् फ़-लम्मा अज़ा-अत् मा हौ-लहू ज़-हबल्लाहु बिनूरिहिम् व त-र-कहुम् फ़ी जुलुमातिल्ला युब्सिरून (17)
उन लोगों की मिसाल ( तो ) उस शख्स जैसी है जिसने आग भड़काई, फिर आग ने उसका इर्द गिर्द रौशन कर दिया, तो अल्लाह ने उनकी रौशनी ले छीन ली और उनको अंधेरे में छोड़ दिया,वे देखते नहीं। (17)

सुम्मुम्-बुक्मुन अुम्युन् फहुम् ला यर्जिअून (18)
वह बहरे, गूंगे और अंधे हैं, सो वे नहीं लौटेंगे। (18)

औ क-सय्यिबिम-मिनस्समा-इ फ़ीहि जुलुमातुंव व-रअदुंव व-बरकुन , यज्अलू-न असाबि-अहुम् फ़ी आज़ानिहिम् मिनस्सवाअिकि ह-जरल्मौति वल्लाहु मुहीतुम्-बिल्काफिरीन (19)
या उनकी मिसाल ऐसी है जैसे आसमानी बारिश जिसमें तारिकियाँ ग़र्ज़ बिजली हो मौत के खौफ से कड़क के मारे अपने कानों में ऊँगलियाँ दे लेते हैं हालाँकि खुदा काफ़िरों को ( इस तरह ) घेरे हुए है। ( कि उसक हिल नहीं सकते ) (19)

यकादुल-बरकु यख्तफु अब्सा-रहुम् , कुल्लमा अज़ा-अ लहुम् मशौ फीहि व इज़ा अज्ल-म अलैहिम् कामू वलौ शा-अल्लाहु ल-ज़-ह-ब बिसम्अिहिम् व अब्सारिहिम , इन्नल्ला-ह अला कुल्लि शैइन कदीर (20)*
क़रीब है कि बिजली उनकी आँखों को चौन्धिया दे, जब उनके आगे बिजली चमकी तो उस रौशनी में चल खड़े हुए और जब उन पर अंधेरा छा गया तो ( ठिठक के ) खड़े हो गए और अल्लाह चाहता तो उनकी शुनवाई और उनकी ऑंखें छीन लेता, बेशक अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है। (20)

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 3

या अय्युहन्नासुअ् बुदू रब्बकुमुल्लजी ख-ल-ककुम् वल्लज़ी-न मिन् कब्लिकुम लअल्लकुम् तत्तकून (21)
ए लोगों! तुम अपने रब की इबादत करो जिसने पैदा किया तुमको और उन लोगों को जो तुम से पहले आये ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ (21)

अल्लजी ज-अ-ल लकुमुल् अर्-ज़ फिराशंव-वस्समा-अ बिनाअंव व-अन्ज-ल मिनस्समा-इ माअन् फ़-अख्-र-ज बिही मिनस्स-मराति रिज्कल लकुम् फला तज्अलू लिल्लाहि अन्दादंव व-अन्तुम् तअलमून (22)
जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को फर्श बनाया और आसमान को छत, और आसमान से पानी उतारा फिर उसके जरिये तुम्हारे खाने के लिए बाज़ फल पैदा किए सो अल्लाह के लिए कोई शरीक न ठराओ हालाँकि तुम खूब जानते हो (22)

व इन कुन्तुम् फी रैबिम्-मिम्मा नज्जलना अ़ला अब्दिना फ़अ्तू बिसू-रतिम् मिम् मिस्लिही वद्अु शु-हदाअकुम् मिन् दूनिल्लाहि इन कुन्तुम् सादिक़ीन (23)
और अगर इस कलाम में शक हो, जो हमने अपने बन्दे (मोहम्मद) पर नाज़िल किया है। तो अगर तुम सच्चे हो तो तुम (भी) इस जैसी एक सूरत ले आओ और अल्लाह के सिवा जो भी तुम्हारे मददगार हों उनको भी बुला लो (23)

फ़-इल्लम तफ्अलू व लन् तफ्अलू फत्तकुन्नारल्लती व कूदुहन्नासु वलहिजा-रतु उअिद्दत् लिल्काफ़िरीन (24)
पस अगर तुम ये नहीं कर सको और हरगिज़ कर भी नहीं सकोगे, तो उस आग से डरो जिसका ईधन आदमी और पत्थर होंगे और जो काफ़िरों के लिए तैयार की गई है (24)

व बश्शिरिल्लज़ी-न आमनू व अमिलुस्सालिहाति अन्-न लहुम् जन्नातिन तज्-री मिन् तहतिहल्-अन्हारू , कुल्लमा रूज़िकू मिन्हा मिन् स-म-रतिर्-रिज्कन् कालू हाज़ल्लजी रूज़िक्ना मिन् कब्लू व उतू बिहि मु-तशाबिहन् , व लहुम् फ़ीहा अज्वाजुम् मु-तह्ह-रतुवं व हुम् फ़ीहा खालिदून (25)
और उन लोगों को खुशख़बरी दो जो ईमान लाये और उन्होंने नेक अमल किये। उनके लिए बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरे बहती हैं जब उन्हें इन बाग़ात का कोई फल खाने को दिया जायेगा, तो कहेंगे ये तो वही फल है जो पहले भी हमें खाने को मिल चुका है। हांलांकि उन्हें उन्हें उससे मिलता-जुलता दिया गया और उसमें उनके लिए पाकीजा बीवियाँ हैं और ये लोग उस बाग़ में हमेशा रहेंगे (25)

इन्नल्ला-ह ला यस्तहयी अंय्यजरि-ब म-स-लम्मा बअू-जतन् फ़मा फौ-कहा , फ-अम्मल्ल जी-न आमनू फ़-यअ लमू-न अन्नहुलहक्कु मिर्रब्बिहिम , वअम्मल्लज़ी-न क-फ़रू फ़ यकूलू-न माज़ा अरादल्लाहु बिहाज़ा म-सलन् • युज़िल्लु बिही कसीरंव् व यहदी बिही कसीरन् , व मा युज़िल्लु बिही इल्लल्-फ़ासिक़ीन ( 26 )
बेशक खुदा मच्छर या उससे भी बढकर ( हक़ीर चीज़ ) की कोई मिसाल बयान करने में नहीं शर्माता। सो जो लोग ईमान लाये वो तो जानते हैं कि वह उनके रब की तरफ से हक है। और जिन लोगों ने कुफ्र किया वे कहते हैं अल्लाह ने इस मिसाल से क्या इरादा किया, वह इससे से बहुत लोगों को गुमराह करता है, और इससे बहुत लोगों को हिदायत देता है, और उससे नाफर्मानों के सिवा किसी को गुमराह नहीं करता(26)

अल्लज़ी-न यन्कुजु-न अहदल्लाहि मिम्-बअ्दि मीसाकिही व यक्तअू-न मा अ-मरल्लाहु बिही अंय्यू-स-ल व युफ्सिदू-न फ़िल्अर्ज़ि उलाइ-क हुमुल्-ख़ासिरून (27)
जो लोग खुदा के एहदो पैमान को मज़बूत हो जाने के बाद तोड़ डालते हैं और जिन ( ताल्लुक़ात ) का खुदा ने हुक्म दिया है उनको क़ताआ कर देते हैं और मुल्क में फसाद करते फिरते हैं , यही लोग घाटा उठाने वाले हैं (27)

कै-फ़ तक्फुरू-न बिल्लाहि व कुन्तुम् अम्वातन् फ़-अह्याकुम् सुम्-म युमीतुकुम् सुम्-म युहूयीकुम् सुम्-म इलैहि तुर्जअून (28)
तुम किस तरह अल्लाह का कुफ्र करते हो हालाँकि तुम बेजान थे तो उसी ने तुमको ज़िन्दा किया फिर वही तुमको मार डालेगा, फिर वही तुमको ( दोबारा क़यामत में ) ज़िन्दा करेगा फिर उसी की तरफ लौटाए जाओगे (28)

हुवल्लजी ख-ल-क लकुम् मा फ़िलअर्जि जमीअन् , सुम्मस्तवा इलस्समा-इ फ़-सव्वाहुन्-न सब्-अ समावातिन् , व-हु-व बिकुल्लि शैइन् अलीम (29)*
वही है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन की सारी चीज़ों को पैदा किया फिर आसमान की तरफ़ कसद किया तो सात आसमान हमवार (व मुसतहकम) बना दिए और वह हर चीज़ से वाक़िफ है (29)

तो जैसा कि इस पोस्ट में हमने सूरह बकराह यानि के Alif Laam Meem Surah के 1 से 3 तक के रुकू को हिंदी में तर्जुमा के साथ पढ़ा।

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 4

व इज् का-ल रब्बु-क लिल्मलाइ-कति इन्नी जाअिलुन् फिल्अर्जि ख़ली-फ़तन् , कालू अ-तज्-अलु फ़ीहा मंय्युफ्सिदु फ़ीहा व यसफ़िकुद्दिमा-अ, व नह्नु नुसब्बिहु बिहम्दि-क व नुकद्दिसु ल-क , का-ल इन्नी अअ्लमु मा ला तअ्लमून (30)
और याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा कि “मैं धरती में (मनुष्य को) ख़लीफ़ा (सत्ताधारी) बनानेवाला हूँ।” उन्होंने कहा, “क्या उसमें उसको रखेगा, जो उसमें बिगाड़ पैदा करे और रक्तपात करे और हम तेरा गुणगान करते और तुझे पवित्र कहते हैं?” उसने कहा, “मैं जानता हूँ जो तुम नहीं जानते।”

व अल्ल-म आ-दमल् अस्मा-अ कुल्लहा सुम्-म अ-र-ज़ हुम् अलल्-मलाइ-कति फ़का-ल अम्बिऊनी बिअस्मा-इ हा-उ ला-इ इन कुन्तुम सादिक़ीन (31)
उसने (अल्लाह ने) आदम को सारे नाम सिखाए, फिर उन्हें फ़रिश्तों के सामने पेश किया और कहा, “अगर तुम सच्चे हो तो मुझे इनके नाम बताओ।”

कालू सुब्हा-न-क ला-अिल-म-लना इल्ला मा अल्लम्तना इन्न-क अन्तल अलीमुल-हकीम (32)
वे बोले, “पाक और महिमावान है तू! तूने जो कुछ हमें बताया उसके सिवा हमें कोई ज्ञान नहीं। निस्संदेह तू सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है।”

का-ल या आदमु अमबिअ्हुम बिअस्मा-इहिम् फ-लम्मा अम्-ब-अहुम् बिअस्मा-इहिम् का-ल अलम् अकुल्लकुम् इन्नी अअ़लमु गैबस्समावाति वल्अर्ज़ि व अअ्लमु मा तुब्दू-न व मा कुन्तुम् तक्तुमून (33)
उसने (अल्लाह ने) कहा, “ऐ आदम! उन्हें उन लोगों के नाम बताओ।” फिर जब उसने उन्हें उनके नाम बता दिए तो (अल्लाह ने) कहा, “क्या मैंने तुमसे कहा न था कि मैं आकाशों और धरती की छिपी बातों को जानता हूँ और मैं जानता हूँ जो कुछ तुम ज़ाहिर करते हो और जो कुछ छिपाते हो।”

व इज् कुल्ना लिल्-मलाइ-कतिस्जुदू लिआ-द-म फ़-स-जदू इल्ला इब्लीस, अबा वस्तक्ब-र व का-न मिनल्काफ़िरीन (34)
और याद करो जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि “आदम को सजदा करो” तो, उन्होंने सजदा किया सिवाय इबलीस के; उसने इनकार कर दिया और लगा बड़ा बनने और काफ़िर हो रहा।

व कुल्ना या आ-दमुस्कुन् अन्-त व जौजुकल-जन्न-त व कुला मिन्हा र-ग़दन हैसु शिअतुमा व ला तक्रबा हाज़िहिश् श-ज-र-त फ़-तकूना मिनज्-ज़ालिमीन (35)
और हमने कहा, “ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी जन्नत में रहो और वहाँ जी भर बेरोक-टोक जहाँ से तुम दोनों का जी चाहे खाओ, लेकिन इस वृक्ष के पास न जाना, अन्यथा तुम ज़ालिम ठहरोगे।”

फ-अज़ल्-लहुमश्-शैतानु अन्हा फ-अख्र-जहुमा मिम्मा काना फीही व कुल-नहबितू बअजुकुम लिबअज़िन् अदुव्वुन् व लकुम् फिलअर्जि मुस्तकर्रूंव व मताअुन् इलाहीन (36)
अन्ततः शैतान ने उन्हें वहाँ से फिसला दिया, फिर उन दोनों को वहाँ से निकलवाकर छोड़ा, जहाँ वे थे। हमने कहा कि “उतरो, तुम एक-दूसरे के शत्रु होगे और तुम्हें एक समय तक धरती में ठहरना और बिलसना है।”

फ़-त लक्का आदमु मिर्रब्बिही कलिमातिन् फ़ता-ब अलैहि , इन्नहू हुवत्तव्वाबुर्रहीम (37)
फिर आदम ने अपने रब से कुछ शब्द पा लिए, तो अल्लाह ने उसकी तौबा क़बूल कर ली; निस्संदेह वही तौबा क़बूल करने वाला, अत्यन्त दयावान है।

कुल्नहबितू मिन्हा जमीअन् फ़-इम्मा यअतियन्नकुम् मिन्नी हुदन फ़-मन् तबि-अ हुदा-या फला खौफुन अलैहिम् व ला हुम् यह्ज़नून (38)
हमने कहा, “तुम सब यहाँ से उतरो, फिर यदि तुम्हारे पास मेरी ओर से कोई मार्गदर्शन पहुँचे तो जिस किसी ने मेरे मार्गदर्शन का अनुसरण किया, तो ऐसे लोगों को न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे।”

वल्लज़ी-न क-फरू व कज्जबू बिआयातिना उलाइ-क अस्हाबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून (39)*
और जिन लोगों ने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही आग में पड़नेवाले हैं, वे उसमें सदैव रहेंगे।

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 5

या बनी इस्राइलज्कुरू निअ्मतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व औफू बि-अ़हदी ऊफि़ बि-अहदिकुम् व इय्या-य फरहबून (40)
ऐ इसराईल की सन्तान! याद करो मेरे उस अनुग्रह को जो मैंने तुमपर किया था। और मेरी प्रतिज्ञा को पूरा करो, मैं तुमसे की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करूँगा, और हाँ, मुझी से डरो।

व आमिनू बिमा अन्ज़ल्तु मुसद्दिकल्लिमा म-अकुम् व ला तकूनू अव्व-ल काफ़िरिम् बिहि व ला तश्तरू बिआयाती स्-म-नन् कलीलंव व इय्या-य फत्तकून (41)
और ईमान लाओ उस चीज़ पर जो मैंने उतारी है, जो उसकी पुष्टि में है, जो तुम्हारे पास है, और सबसे पहले तुम ही उसके इनकार करनेवाले न बनो। और मेरी आयतों को थोड़ा मूल्य प्राप्त करने का साधन न बनाओ, मुझसे ही तुम डरो।

व ला तल्बिसुल-हक्-क बिल्बातिलि व तक्तुमुल्हक्-क व अन्तुम् तअलमून (42)
और सत्य में असत्य का घाल-मेल न करो और जानते-बूझते सत्य को मत छिपाओ ।

व अकीमुस्सला-त व आतुज्जका-त वर्-कअू म-अर्राकिअीन (43)
और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो और (मेरे समक्ष) झुकनेवालों के साथ झुको

अ-तअ्मुरूनन्ना-स बिल्बिर्रि व तन्सौ-न अन्फुसकुम् व अन्तुम् तत्लूनल-किता-ब , अ-फला तअ्किलून (44)
क्या तुम लोगों को तो नेकी और एहसान का उपदेश देते हो और अपने आपको भूल जाते हो, हालाँकि तुम किताब भी पढ़ते हो? फिर क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?

वस्तअीनू बिस्सबरि वस्सलाति , व इन्नहा ल-कबी-रतुन् इल्ला अलल-ख़ाशिअीन (45)
धैर्य और नमाज़ से मदद लो, और निस्संदेह यह (नमाज़) बहुत कठिन है, किन्तु उन लोगों के लिए नहीं जो विनम्र होते हैं

अल्लज़ी-न यजुन्नू-न अन्नहुम-मुलाकू रब्बिहिम् व अन्नहुम् इलैहि राजिअून•(46)*
जो समझते हैं कि उन्हें अपने रब से मिलना है और उसी की ओर उन्हें पलटकर जाना है।

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 6

या बनी इस्राईलज्कुरू निअ्मतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व अन्नी फज्जल्तुकुम् अलल् आलमीन (47)
ऐ इसराईल की सन्तान! याद करो मेरे उस अनुग्रह को जो मैंने तुमपर किया था और इसे भी कि मैंने तुम्हें सारे संसार पर श्रेष्ठता प्रदान की थी;

वत्तकू यौमल्ला तज्ज़ी नफ्सुन् अन्नफ्सिन् शैअंव व ला युक्बलु मिन्हा शफ़ा-अतुंव व ला युअ्-खजु मिन्हा अद्लुंव व ला हुम् युन्सरून(48)
और डरो उस दिन से जब न कोई किसी की ओर से कुछ तावान भरेगा और न किसी की ओर से कोई सिफ़ारिश ही क़बूल की जाएगी और न किसी की ओर से कोई फ़िद्या (अर्थदंड) लिया जाएगा और न वे सहायता ही पा सकेंगे।

व इज नज्जैनाकुम मिन् आलि फिरऔ-न यसूमू-नकुम् सूअल-अज़ाबि युज़ब्बिहू-न अब्ना-अकुम् व यस्तह्यू-न निसा-अकुम् व फी जालिकुम बलाउम् मिर्रब्बिकुम् अ़जी़म (49)
और याद करो जब हमने तुम्हें फ़िरऔनियों से छुटकारा दिलाया, जो तुम्हें अत्यन्त बुरी यातना देते थे, तुम्हारे बेटों को मार डालते थे और तुम्हारी स्त्रियों को जीवित रहने देते थे; और इसमें तुम्हारे रब की ओर से बड़ा अनुग्रह था।

व इज् फ़-रक्ना बिकुमुल्-बह्-र फ़-अन्जैनाकुम् व अग्-रक्ना आ-ल फ़िरऔ-न व अन्तुम् तन्जुरून (50)
याद करो जब हमने तुम्हें सागर में अलग-अलग चौड़े रास्ते से ले जाकर छुटकारा दिया और फ़िरऔनियों को तुम्हारी आँखों के सामने डूबो दिया।

व इज् वाअ़दना मूसा अर्-बअी़-न लै-लतन् सुम्मत्तखज्तुमुल्-अिज्-ल मिम्-बअ्दिही व अन्तुम् ज़ालिमून (51)
और याद करो जब हमने मूसा से चालीस रातों का वादा ठहराया तो उसके पीछे तुम बछड़े को अपना देवता बना बैठे, तुम अत्याचारी थे।

सुम्-म अ़फौना अ़न्कुम मिम्-बअदि ज़ालि-क लअल्लकुम् तश्कुरून (52)
फिर इसके पश्चात भी हमने तुम्हें क्षमा किया, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ।

व इज् आतैना मूसल-किता-ब वल्फुरका-न लअल्लकुम् तह्तदून (53)
और याद करो जब मूसा को हमने किताब और कसौटी प्रदान की, ताकि तुम मार्ग पा सको।

व इज् का-ल मूसा लिक़ौमिही या कौमि इन्नकुम् ज़-लम्तुम अन्फु-सकुम् बित्तिख़ाज़िकुमुल्-अिज्-ल फ़तूबू इला बारिइकुम् फक्-तुलू अन्फु-स-कुम् , जा़लिकुम् खैरूल्लकुम् अिन्-द बारिइकुम् , फ़ता – ब अलैकुम इन्नहू हुवत्तव्वाबुर्रहीम (54)
और जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! बछड़े को देवता बनाकर तुमने अपने ऊपर ज़ुल्म किया है, तो तुम अपने पैदा करनेवाले की ओर पलटो, अतः अपने लोगों को स्वयं क़त्ल करो। यही तुम्हारे पैदा करनेवाले की द्रष्टि में तुम्हारे लिए अच्छा है, फिर उसने तुम्हारी तौबा क़बूल कर ली। निस्संदेह वह बड़ा तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है।”

व इज् कुल्तुम् या मूसा लन्-नुअ्-मिन-ल-क हत्ता नरल्ला-ह जह्-रतन् फ़-अ खज़त्कुमुस्साअि-कतु व अन्तुम् तन्जु़रून (55)
और याद करो जब तुमने कहा था, “ऐ मूसा, हम तुमपर ईमान नहीं लाएँगे जब तक अल्लाह को खुल्लम-खुल्ला न देख लें।” फिर एक कड़क ने तुम्हें आ दबोचा और तुम देखते रहे।

सुम्-म बअस्नाकुम् मिम्-बअ्दि मौतिकुम् लअ़ल्लकुम् तश्कुरून (56)
फिर तुम्हारे निर्जीव हो जाने के पश्चात हमने तुम्हें जिला उठाया, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ।

व जल्लल्ना अलैकुमुल्-ग़मा-म व अन्ज़ल्ना अलैकुमुल्मन्-न वस्सल्वा , कुलू मिन् तय्यिबाति मा रज़क्नाकुम् , व मा ज़-लमूना व लाकिन् कानू अन्फु-सहुम् यज्लिमून (57)
और हमने तुमपर बादलों की छाया की और तुमपर ‘मन्न’ और ‘सलवा’ उतारा – “खाओ, जो अच्छी पाक चीज़ें हमने तुम्हें प्रदान की हैं।” उन्होंने हमारा तो कुछ भी नहीं बिगाड़ा, बल्कि वे अपने ही ऊपर अत्याचार करते रहे।

व इज् कुल्नद्ख़ुलू हाज़िहिल् कर-य-त फकुलू मिन्हा हैसू शिअ्तुम र-गदंव वद्खुलुल-बा-ब सुज्जदंव व-कूलू हित्ततुन् नगफिर लकुम ख़तायाकुम् , व स-नज़ीदुल् मुह्सिनीन (58)
और जब हमने कहा था, “इस बस्ती में प्रवेश करो, फिर उसमें से जहाँ से चाहो जी भर खाओ, और बस्ती के द्वार में सजदागुज़ार बनकर प्रवेश करो और कहो, “छूट है।” हम तुम्हारी ख़ताओं को क्षमा कर देंगे और अच्छे से अच्छा काम करनेवालों पर हम और अधिक अनुग्रह करेंगे।”

फ-बद्-दल्-लज़ी-न ज़-लमू कौलन् गैरल्लज़ी की-ल लहुम् फ़-अन्ज़ल्ना अलल्लज़ी-न ज़लमू रिज्ज़म् – मिनस्-समा-इ बिमा कानू यफ्सुकू़न (59)*
फिर जो बात उनसे कही गई थी ज़ालिमों ने उसे दूसरी बात से बदल दिया। अन्ततः ज़ालिमों पर हमने, जो अवज्ञा वे कर रहे थे उसके कारण, आकाश से यातना उतारी।

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 7

व इज़िस्तस्का मूसा लिक़ौमिही फ़-कुल्नजरिब् बिअसाकल् ह-ज-र , फ़न्-फ़-जरत् मिन्हुस्-नता अश्र-त अैनन् , कद् अलि-म कुल्लु उनासिम् मश्र-बहुम् , कुलू वश्रबू मिर्रिज़किल्लाहि व ला तअ्सौ फिलअर्ज़ि मुफ्सिदीन (60)
और याद करो जब मूसा ने अपनी क़ौम के लिए पानी की प्रार्थना की तो हमने कहा, “चट्टान पर अपनी लाठी मारो,” तो उससे बारह स्रोत फूट निकले और हर गरोह ने अपना-अपना घाट जान लिया – “खाओ और पियो अल्लाह का दिया और धरती में बिगाड़ फैलाते न फिरो।”

व इज् कुल्तुम् या मूसा लन्-नस्बि-र अला तआमिव्वाहिदिन् फ़द्अु लना रब्ब-क युख्रिज् लना मिम्मा तुम्बितुल अर्जु मिम्-बक्लिहा व किस्सा-इहा व फूमिहा व अ-द सिहा व ब-स-लिहा , का-ल अ-तस्तब्दिलूनल्लज़ी हु-व अद्ना बिल्लज़ी हु-व खैरून , इह्बितू मिस्रन् फ़-इन्-न लकुम मा सअल्तुम , व जुरिबत् अलैहिमुज्ज़िल्लतु वल्मस्-क-नतु व बाऊ बि-ग़-ज़-बिम् – मिनल्लाहि ,जालि-क बिअन्न-हुम् कानू यक्फुरू-न बिआयातिल्लाहि व यक्तुलूनन्-नबिय्यी-न बिगैरिल हक्कि , ज़ालि-क बिमा असव् वकानू यअतदून (61)*
और याद करो जब तुमने कहा था, “ऐ मूसा, हम एक ही प्रकार के खाने पर कदापि संतोष नहीं कर सकते, अतः हमारे लिए अपने रब से प्रार्थना करो कि वह हमारे वास्ते धरती की उपज से साग-पात और ककड़ियाँ और लहसुन और मसूर और प्याज़ निकाले।” और मूसा ने कहा, “क्या तुम जो घटिया चीज़ है उसको उससे बदलकर लेना चाहते हो जो उत्तम है? किसी नगर में उतरो, फिर जो कुछ तुमने माँगा है, तुम्हें मिल जाएगा” – और उनपर अपमान और हीन दशा थोप दी गई, और वे अल्लाह के प्रकोप के भागी हुए। यह इसलिए कि वे अल्लाह की आयतों का इनकार करते रहे और नबियों की अकारण हत्या करते थे। यह इसलिए कि उन्होंने अवज्ञा की और वे सीमा का उल्लंघन करते रहे।

Alif Laam Meem Surah रुकू- 8

इन्नल्लज़ी-न आमनू वल्लज़ी-न हादू वन्नसारा वस्साबिईन मन् आम-न बिल्लाहि वल्यौमिल्-आखिरि व अमि-ल सालिहन् फ़-लहुम् अजरुहुम अिन्-द रब्बिहिम वला खौफुन् अलैहिम वला हुम् यह्ज़नून (62)
निस्संदेह, ईमानवाले और जो यहूदी हुए और ईसाई और साबिई, जो भी अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाया और अच्छा कर्म किया तो ऐसे लोगों का उनके अपने रब के पास (अच्छा) बदला है, उनको न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे –

व इज् अखज्ना मीसा-ककुम् व र-फअ्ना फौ-ककुमुत्तू-र खुजू मा आतैनाकुम् बिकुव्वातिंव्वज्कुरू मा फीहि लअल्लकुम् तत्तकून (63)
और याद करो जब हमने इस हाल में कि तूर पर्वत को तुम्हारे ऊपर ऊँचा कर रखा था, तुमसे दृढ़ वचन लिया था, “जो चीज़ हमने तुम्हें दी है उसे मज़बूती के साथ पकड़ो और जो कुछ उसमें है उसे याद रखो ताकि तुम बच सको।”

सुम्-म तवल्लैतुम् मिम्-बअ्दि ज़ालि-क फलौला फज्लुल्लाहि अलैकुम् व रहमतुहू लकुन्तुम् मिनल ख़ासिरीन (64)
फिर इसके पश्चात भी तुम फिर गए, तो यदि अल्लाह की कृपा और उसकी दयालुता तुम पर न होती तो तुम घाटे में पड़ गए होते।

व लकद् अलिम्तुमुल्लज़ीनअ्-तदौ मिन्कुम् फिस्सब्ति फ़कुल्ना लहुम् कूनू कि-र-दतन् खासिईन (65)
और तुम उन लोगों को तो जानते ही हो जिन्होंने तुममें से ‘सब्त’ के दिन के मामले में मर्यादा का उल्लंघन किया था, तो हमने उनसे कह दिया, “बन्दर हो जाओ, धिक्कारे और फिटकारे हुए!”

फ – जअल्नाहा नकालल्-लिमा बै-न यदैहा व मा ख़ल्फहा व मौअि-जतल् लिल्मुत्तकीन (66)
फिर हमने इसे सामनेवालों और बाद के लोगों के लिए शिक्षा-सामग्री और डर रखनेवालों के लिए नसीहत बनाकर छोड़ा।

व इज् का-ल मूसा लिकौमिही इन्नल्ला-ह यअ्मुरूकुम् अन् तज़्बहू ब-क-रतन् , कालू अ-तत्तखिजुना हुजुवन् , का-ल अअूजु बिल्लाहि अन् अकू-न मिनल्जाहिलीन (67)
और याद करो जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा, “निश्चय ही अल्लाह तुम्हें आदेश देता है कि एक गाय ज़ब्ह करो।” कहने लगे, “क्या तुम हमसे परिहास करते हो?” उसने कहा, “मैं इससे अल्लाह की पनाह माँगता हूँ कि जाहिल बनूँ।”

कालुद्अु लना रब्ब-क युबय्यिल्लना मा हि-य , का-ल इन्नहू यकूलु इन्नहा ब-क-रतुल्ला-फ़ारिजुंव् वला बिकरून् , अवानुम् , बै-न ज़ालि-क , फ़फ्अलू मा तुअमरून (68)
बोले, “हमारे लिए अपने रब से निवेदन करो कि वह हम पर स्पष्ट कर दे कि वह (गाय) कैसी हो?” उसने कहा, “वह कहता है कि वह ऐसी गाय हो जो न बूढ़ी हो, न बछिया, इनके बीच की रास हो; तो जो तुम्हें हुक्म दिया जा रहा है, करो।”

कालुद् अु-लना रब्ब-क युबय्यिल्लना मा लौनुहा , का-ल इन्नहू यकूलु इन्नहा ब-क-रतुन् सफ़रा-उ फ़ाकिअुल लौनुहा तसुर्रुन्नाज़िरीन (69)
कहने लगे, “हमारे लिए अपने रब से निवेदन करो कि वह हमें बता दे कि उसका रंग कैसा हो?” कहा, “वह कहता है कि वह गाय सुनहरी हो, गहरे चटकीले रंग की कि देखनेवालों को प्रसन्न कर देती हो।”

कालुद् अुलना रब्ब-क युबय्यिल्लना मा हि-य इन्नल ब-क-र तशा-ब-ह अलैना , व इन्ना इन्श-अल्लाहु लमुह्तदून (70)
बोले, “हमारे लिए अपने रब से निवेदन करो कि वह हमें बता दे कि वह कैसी हो, गायों का निर्धारण हमारे लिए संदिग्ध हो रहा है। यदि अल्लाह ने चाहा तो हम अवश्य। पता लगा लेंगे।”

का-ल इन्नहू यकूलु इन्नहा ब-क-रतुल् ला ज़लूलुन् तुसीरूलू-अर्-ज़ वला तस्किल्-हर-स मुसल्-ल-म-तुल्लाशिय-त फ़ीहा , कालुल्आ-न जिअ्-त बिल्हक्कि , फ़-ज़-बहूहा वमा कादू यफ्अलून (71)
उसने कहा, ” वह कहता है कि वह ऐसी गाय है जो सधाई हुई नहीं है कि भूमि जोतती हो, और न वह खेत को पानी देती है, ठीक-ठाक है, उसमें किसी दूसरे रंग की मिलावट नहीं है।” बोले, “अब तुमने ठीक बात बताई है।” फिर उन्होंने उसे ज़ब्ह किया, जबकि वे करना नहीं चाहते थे।

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 9

व इज् कतल्तुम् नफ्सन् फ़द्दा-रअ्तुम् फ़ीहा , वल्लाहु मुखिरजुम् मा कुन्तुम् तक्तुमून (72)
और याद करो जब तुमने एक व्यक्ति की हत्या कर दी, फिर उस सिलसिले में तुमने टाल-मटोल से काम लिया – जबकि जिसको तुम छिपा रहे थे, अल्लाह उसे खोल देनेवाला था।

फ़-कुल्नज्रिबूहु बि-बअ्ज़िहा , कज़ालि-क युह्यिल्लाहुल-मौता व युरीकुम् आयातिही लअल्लकुम् तअ्किलून (73)
तो हमने कहा, “उसे उसके एक हिस्से से मारो।” इस प्रकार अल्लाह मुर्दों को जीवित करता है और तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाता है, ताकि तुम समझो।

सुम्-म क़सत् कुलूबुकुम् मिम्-बअ्दि जालि-क फहि-य कलहिजा-रति औ अशद्दू कस्वतन् , व इन्-न मिनल-हिजारति लमा य-तफज्जरू मिन्हुल-अन्हारू , व इन्-न मिन्हा लमा यश्शक्ककु फ़-यख् रूजु मिन्हुल्मा-उ , व इन्-न मिन्हा लमा यहबितु मिन् ख़श्यतिल्लाहि , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून (74)
फिर इसके पश्चात भी तुम्हारे दिल कठोर हो गए, तो वे पत्थरों की तरह हो गए बल्कि उनसे भी अधिक कठोर; क्योंकि कुछ पत्थर ऐसे भी होते हैं जिनसे नहरें फूट निकलती हैं, और उनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं कि फट जाते हैं तो उनमें से पानी निकलने लगता है और उनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं जो अल्लाह के भय से गिर जाते हैं। और जो कुछ तुम कर रहे हो अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है।

अ-फ़-तत्मअू-न अंय्युअ्मिनू लकुम् व कद् का-न फ़रीकुम् मिन्हुम् यस्मअू-न कलामल्लाहि सुम्-म युहर्रिफूनहू मिम्-बअ्दि मा अ-क-लूहु व हुम् यअ्लमून (75)
तो क्या तुम इस लालच में हो कि वे तुम्हारी बात मान लेंगे, जबकि उनमें से कुछ लोग अल्लाह का कलाम सुनते रहे हैं, फिर उसे भली-भाँति समझ लेने के पश्चात जान-बूझकर उसमें परिवर्तन करते रहे?

व इज़ा लकुल्लज़ी-न आमनू कालू आमन्ना व इज़ा ख़ला बअ्जुहुम् इला बअ्जिन् कालूं अतुह्द्दिसू नहुम् बिमा फ़-तहल्लाहु अलैकुम् लियुहाज्जूकुम् बिही अिन्-द रब्बिकुम , अ-फ़ला तअ्किलून (76)
और जब वे ईमान लानेवाले से मिलते हैं तो कहते हैं, “हम भी ईमान रखते हैं”, और जब आपस में एक-दूसरे से एकान्त में मिलते हैं तो कहते हैं, “क्या तुम उन्हें वे बातें, जो अल्लाह ने तुम पर खोलीं, बता देते हो कि वे उनके द्वारा तुम्हारे रब के यहाँ हुज्जत में तुम्हारा मुक़ाबिला करें? तो क्या तुम समझते नहीं!”

अ-वला यअ्लमू-न अन्नल्ला-ह यअलमु मा युसिर्रू-न वमा युअलिनून (77)
क्या वे जानते नहीं कि अल्लाह वह सब कुछ जानता है, जो कुछ वे छिपाते और जो कुछ ज़ाहिर करते हैं?

व मिन्हुम् उम्मिय्यू-न ला यअ्लमूनल किता-ब इल्ला अमानिय्-य व इन हुम् इल्ला यजुन्नून • (78)
और उनमें सामान्य बे पढ़े भी हैं जिन्हें किताब का ज्ञान नहीं है, बस कुछ कामनाओं एवं आशाओं को धर्म जानते हैं, और वे तो बस अटकल से काम लेते हैं।

फ वै लुल-लिल्लजी-न यक्तुबूनल-किता-ब बिऐदीहिम , सुम्-म यकूलू-न हाज़ा मिन् अिन्दिल्लाहि लियश्तरू बिही स-म-नन् कलीलन् , फवैलुल्लहुम् मिम्मा क-त-बत् ऐदीहिम व वैलुल्लहुम् मिम्मा यक्सिबून (79)
तो विनाश और तबाही है उन लोगों के लिए जो अपने हाथों से किताब लिखते हैं, फिर कहते हैं, “यह अल्लाह की ओर से है”, ताकि उसके द्वारा थोड़ा मूल्य प्राप्त कर लें। तो तबाही है उनके लिए उसके कारण जो उनके हाथों ने लिखा और तबाही है उनके लिए उसके कारण जो वे कमा रहे हैं।

व कालू लन् तमस्स-नन्नारू इल्ला अय्यामम् मअदू-दतन् , कुल अत्तखज्तुम् अिन्दल्लाहि अहदन फ़-लंय्-युख्लिफ़ल्लाहु अह्दहू अम् तकूलू-न अलल्लाहि मा ला तअ्लमून (80)
वे कहते हैं, “जहन्नम की आग हमें नहीं छू सकती, हाँ, कुछ गिने-चुने दिनों (सांसारिक कष्टों) की बात और है।” कहो, “क्या तुमने अल्लाह से कोई वचन ले रखा है? फिर तो अल्लाह कदापि अपने वचन के विरुद्ध नहीं जा सकता? या तुम अल्लाह के ज़िम्मे डालकर ऐसी बात कहते हो जिसका तुम्हें ज्ञान नहीं?

बला मन् क-स-ब सय्यि-अतंव-व अहातत् बिही खतीअतु हू फ़-उलाइ-क अस्हाबुन्नारि हुम् फ़ीहा ख़ालिदून (81)
क्यों नहीं; जिसने भी कोई बदी कमाई और उसकी ख़ताकारी ने उसे अपने घेरे में ले लिया, तो ऐसे ही लोग आग (जहन्नम) में पड़नेवाले हैं; वे उसी में सदैव रहेंगे।

वल्लजी-न आमनू व आमिलुस्सालिहाति उलाइ-क अस्हाबुल-जन्नति हुम् फ़ीहां ख़ालिदून (82)
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वही जन्नतवाले हैं, वे सदैव उसी में रहेंगे।”

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 10

व इज् अख़ज्ना मीसा-क बनी इस्-राई-ल ला तअबुदू-न इल्लल्ला-ह , व बिल्वालिदैनि इहसानंव वज़िल्कुरबा वल्यतामा वल्मसाकीनि व कूलू लिन्नासि हुस्नंव व-अकीमुस्सला-त व आतुज्ज़का-त , सुम्-म तवल्लैतुम् इल्ला क़लीलम्-मिन्कुम् व अन्तुम् मुअ्रिजून (83)
और याद करो जब इसराईल की सन्तान से हमने वचन लिया, “अल्लाह के अतिरिक्त किसी की बन्दगी न करोगे; और माँ-बाप के साथ और नातेदारों के साथ और अनाथों और मुहताजों के साथ अच्छा व्यवहार करोगे; और यह कि लोगों से भली बात कहो और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो।” तो तुम फिर गए, बस तुममें से बचे थोड़े ही और तुम उपेक्षा की नीति ही अपनाए रहे।

व इज् अख़ज्ना मीसा-ककुम्-ला तस्फिकू-न दिमा-अकुम् व ला तुख्रिजू-न अन्फु-सकुम् मिन् दियारिकुम् सुम्-म अक्ररतुम् व अन्तुम तश्हदून (84)
और याद करो जब हमने तुमसे वचन लिया, “अपने ख़ून न बहाओगे और न अपने लोगों को अपनी बस्तियों से निकालोगे।” फिर तुमने इक़रार किया और तुम स्वयं इसके गवाह हो।

सुम्-म अन्तुम् हा-उला-इ तक्तुलू-न अन्फु-सकुम् व तुख्रिजू-न फरीकम् मिन्कुम् मिन् दियारिहिम तज़ाहरू-न अलैहिम बिल्इस्मि वल्-अुद्वानि , व इंय्यअ्तूकुम् उसारा तुफादूहुम व हु-व मुहर्रमुन् अलैकुम् इख्राजुहुम , अ-फ़-तुअ्मिनू-न बिबअ्ज़िल-किताबि व तक्फुरू-न बिबअ्ज़िन् फ़मा जज़ा-उ मंय्यफ्अलु ज़ालि-क मिन्कुम् इल्ला खिज्युन् फ़िल्हयातिद्दुन्या व यौमलकियामति युरद्दू-न इला अशद्दिल-अज़ाबि , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून (85)
फिर तुम वही हो कि अपने लोगों की हत्या करते हो और अपने ही एक गरोह के लोगों को उनकी बस्तियों से निकालते हो; तुम गुनाह और ज़्यादती के साथ उनके विरुद्ध एक-दूसरे के पृष्ठपोषक बन जाते हो; और यदि वे बन्दी बनकर तुम्हारे पास आते हैं, तो उनकी रिहाई के लिए फ़िद्ये (अर्थदंड) का लेन-देन करते हो जबकि उनको उनके घरों से निकालना ही तुम पर हराम था, तो क्या तुम किताब के एक हिस्से को मानते हो और एक को नहीं मानते? फिर तुममें जो ऐसा करें उनका बदला इसके सिवा और क्या हो सकता है कि सांसारिक जीवन में अपमान हो? और क़ियामत के दिन ऐसे लोगों को कठोर से कठोर यातना की ओर फेर दिया जाएगा। अल्लाह उससे बे ख़बर नहीं है जो कुछ तुम कर रहे हो।

उला-इ-कल्लजीनश-त-र वुल्हयातद्दुन्या बिल्आख़िरति फ़ला युखफ्फफु अन्हुमुल अज़ाबु व ला हुम् युन्सरून (86)*
यही वे लोग हैं जो आख़िरत के बदले सांसारिक जीवन के ख़रीदार हुए, तो न उनकी यातना हल्की की जाएगी और न उन्हें कोई सहायता पहुँच सकेगी।

Alif Lam Mim Surah-2 रुकू- 11

व लक़द् आतैना मूसल् किता-ब व कफ्फ़ैना मिम्-बअदिही बिर्रूसुलि व आतैना अीसब्-न मर्यमल्बय्यिनाति व अय्यद्नाहु बिरूहिल्कुदुसि , अ-फकुल्लमा जाअकुम् रसूलुम बिमा ला तहवा अन्फुसुकुमुस्तक्बरतुम् फ़-फरीकन् कज्जब्तुम् व फरीकन् तक्तुलून (87)
और हमने मूसा को किताब दी थी, और उसके पश्चात आगे-पीछे निरन्तर रसूल भेजते रहे; और मरयम के बेटे ईसा को खुली-खुली निशानियाँ प्रदान कीं और पवित्र-आत्मा के द्वारा उसे शक्ति प्रदान की; तो यही तो हुआ कि जब भी कोई रसूल तुम्हारे पास वह कुछ लेकर आया जो तुम्हारे जी को पसन्द न था, तो तुम अकड़ बैठे, तो एक गरोह को तो तुमने झुठलाया और एक गरोह को क़त्ल करते रहे।

व कालू कुलूबुना गुल्फुन् , बल ल-अ नहुमुल्लाहु बिकुफ्रिहिम फ़-कलीलम्मा युअमिनून (88)
वे कहते हैं, “हमारे दिलों पर तो प्राकृतिक आवरण चढ़े हैं।” नहीं, बल्कि उनके इनकार के कारण अल्लाह ने उनपर लानत की है; अतः वे ईमान थोड़े ही लाएँगे।

व लम्मा जाअहुम् किताबुम् मिन् अिन्दिल्लाहि मुसद्दिकुल्लिमा म-अहुम् व कानू मिन् कब्लु यस्तफ़्तिहू-न अलल्लजी-न क-फरू , फ़-लम्मा जा-अहुम् मा अ-रफू क-फ-रू बिही फ़-लअ्नतुल्लाहि अलल्-काफिरीन (89)
और जब उनके पास एक किताब अल्लाह की ओर से आई है जो उसकी पुष्टि करती है जो उनके पास मौजूद है – और इससे पहले तो वे न माननेवाले लोगों पर विजय पाने के इच्छुक रहे हैं – फिर जब वह चीज़ उनके पास आ गई जिसे वे पहचान भी गए हैं, तो उसका इनकार कर बैठे; तो अल्लाह की फिटकार इनकार करने वालों पर!

बिअ-स-मश्तरौ बिही अन्फु-सहुम् अंय्यक्फुरू बिमा अन्जलल्लाहु बग्यन् अंय्युनज्जिलल्लाहु मिन् फ़ज्लिही अला मंय्यशा-उ-मिन् अिबादिही फ़-बाऊ बि-ग़-ज़-बिन् अला ग़-ज़-बिन् , व लिल्काफ़िरी-न अजाबुम् मुहीन (90)
क्या ही बुरी चीज़ है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों का सौदा किया, अर्थात जो कुछ अल्लाह ने उतारा है उसे सरकशी और इस अप्रियता के कारण नहीं मानते कि अल्लाह अपना फ़ज़्ल (कृपा) अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है क्यों उतारता है, अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी हो गए हैं। और ऐसे इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है।

व इज़ा की-ल लहुम् आमिनू बिमा अन्जलल्लाहु कालू नुअमिनु बिमा उन्ज़ि-ल अलैना व यक्फुरू-न बिमा वरा-अहू , व हुवल-हक्कु मुसद्दिकल्-लिमा म-अहुम , कुल फ़लि-म तक्तुलू-न अम्बिया-अल्लाहि मिन् कब्लु इन् कुन्तुम् मुअमिनीन (91)
जब उनसे कहा जाता है, “अल्लाह ने जो कुछ उतारा है उस पर ईमान लाओ”, तो कहते हैं, “हम तो उसपर ईमान रखते हैं जो हम पर उतरा है,” और उसे मानने से इनकार करते हैं जो उसके पीछे है, जबकि वही सत्य है, उसकी पुष्टि करता है जो उनके पास है। कहो, “अच्छा तो इससे पहले अल्लाह के पैग़म्बरों की हत्या क्यों करते रहे हो, यदि तुम ईमानवाले हो?”

व लक़द् जाअकुम् मूसा बिल-बय्यिनाति सुम्मत्तखज्तुमुल-अिज्-ल मिम्-बअ्दिही व अन्तुम् ज़ालिमून (92)
तुम्हारे पास मूसा खुली-खुली निशानियाँ लेकर आया, फिर भी उसके बाद तुम ज़ालिम बनकर बछड़े को देवता बना बैठे।

व इज् अखज्ना मीसा-ककुम् व र-फ़अ्ना फ़ौ-ककुमुत्-तू-र ,खु़जू मा आतैनाकुम् बिकुव्वतिंव्-वस्मअू कालू समिअ्ना व असैना व उश्रिबू फ़ी कुलूबिहिमुल्-अिज्-ल बिकुफ्रिहिम , कुल् बिअ्समा यअ्मुरूकुम् बिही ईमानुकुम इन् कुनतुम् मुअ्मिनीन (93)
और याद करो जब हमने तुमसे वचन लिया और तूर को तुम्हारे ऊपर उठाए रखा था- “जो कुछ हमने तुम्हें दिया है उसे मज़बूती से पकड़ो और सुनो।” वे बोले, “हमने सुना, किन्तु हमने माना नहीं।” उनके अविश्वास के कारण उनके दिलों में बछड़ा बस गया था। कहो, “यदि तुम ईमान वाले हो, तो कितना बुरा वह कर्म है जिसका हुक्म तुम्हारा ईमान तुम्हें देता है।

कुल इन्-कानत् लकुमुद्-दारूल्-आख़िरतु अिन्दल्लाहि खालि-सतम् मिन् दुनिन्नासि फ-तमन्नवुल्मौ-त इन् कुन्तुम् सादिक़ीन (94)
कहो, “यदि अल्लाह के निकट आख़िरत का घर सारे इनसानों को छोड़कर केवल तुम्हारे ही लिए है, फिर तो मृत्यु की कामना करो, यदि तुम सच्चे हो।”

व लंय्य-तमन्नौहु अ-बदम् बिमा कद्द-मत् ऐदीहिम , वल्लाहु अलीमुम् बिज्जालिमीन (95)
अपने हाथों इन्होंने जो कुछ आगे भेजा है उसके कारण वे कदापि उसकी कामना न करेंगे; अल्लाह तो ज़ालिमों को भली-भाँति जानता है।

व ल-तजिदन्नहुम् अहरसन्नासि अला हयातिन् , व मिनल्लज़ी-न अश्रकू यवद्दु अ-हदुहुम् लौ युअम्मरू अल्-फ़ स-नतिन् , वमा हु-व बिमुज़हज़िहिही मिनल-अज़ाबि अंय्युअम्म-र , वल्लाहु बसीरूम् बिमा यअमलून (96)*
तुम उन्हें सब लोगों से बढ़कर जीवन का लोभी पाओगे, यहाँ तक कि वे इस सम्बन्ध में शिर्क करनेवालों से भी बढ़े हुए हैं। उनका तो प्रत्येक व्यक्ति यह इच्छा रखता है कि क्या ही अच्छा होता कि उसे हज़ार वर्ष की आयु मिले, जबकि यदि उसे यह आयु प्राप्त भी हो जाए तो भी वह अपने आपको यातना से नहीं बचा सकता। अल्लाह देख रहा है, जो कुछ वे कर रहे हैं।

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 12

कुल मन् का-न अदुव्वल्लिजिब्री-ल फ़-इन्नहू नज्ज-लहू अला कल्बि-क बि-इज्निल्लाहि मुसद्दिकल्लिमा बै-न यदैहि व हुदंव् व बुश्रा लिल्-मुअ्मिनीन (97)
कहो, “जो कोई जिबरील का शत्रु हो, (तो वह अल्लाह का शत्रु है) क्योंकि उसने तो उसे अल्लाह ही के हुक्म से तुम्हारे दिल पर उतारा है, जो उन (भविष्यवाणियों) के सर्वथा अनुकूल है जो उससे पहले से मौजूद हैं; और ईमानवालों के लिए मार्गदर्शन और शुभ-सूचना है।

मन् का-न अदुव्वल्लिल्लाहि व मला-इ-कतिही व रूसुलिही व जिब्री-ल व मीका-ल फ़-इन्नल्ला-ह अदुव्वुल-लिल्काफ़िरीन (98)
जो कोई अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसके रसूलों और जिबरील और मीकाईल का शत्रु हो, तो ऐसे इनकार करनेवालों का अल्लाह शत्रु है।”

व लकद् अन्जल्ना इलै-क आयातिम् बय्यिनातिन् वमा यक्फुरू बिहा इल्लल्-फ़ासिकून (99)
और हमने तुम्हारी ओर खुली-खुली आयतें उतारी हैं और उनका इनकार तो बस वही लोग करते हैं जो उल्लंघनकारी हैं।

अ-व कुल्लमा आ-हदू अह्दन् न-ब-ज़हू फ़रीकुम् मिन्हुम , बल अक्सरूहुम् ला युमिनून (100)
क्या यह उनकी निश्चित नीति है कि जब भी उन्होंने कोई वचन दिया तो उनके एक गरोह ने उसे उठा फेंका? बल्कि उनमें अधिकतर ईमान ही नहीं रखते।

व लम्मा जाअहुम् रसूलुम् मिन् अिन्दिल्लाहि मुसद्दिकुल-लिमा म-अहुम् न-ब-ज़ फरीकुम मिनल्लज़ी-न ऊतुल्-किता-ब किताबल्लाहि वरा-अ जुहूरिहिम् क-अन्नहुम् ला यअ्लमून (101)
और जब उनके पास अल्लाह की ओर से एक रसूल आया, जिससे उस (भविष्यवाणी) की पुष्टि हो रही है जो उनके पास थी, तो उनके एक गरोह ने, जिन्हें किताब मिली थी, अल्लाह की किताब को अपने पीठ पीछे डाल दिया, मानो वे कुछ जानते ही नहीं।

वत्त-बअू मा तत्लुश्शयातीनु अ़ला मुल्कि सुलैमा-न वमा क-फ़-र सुलैमानु व लाकिन्नश्शयाती-न क-फरू युअल्-लि-मूनन्-नासस्-सिह-र , वमा उन्ज़ि-ल अलल् म-ल-कैनि बिबाबि-ल हारू-त व मारू-त , वमा युअल्लिमानि मिन् अ-हदिन् हत्ता यकूला इन्नमा नह्नू फ़ित्नतुन् फ़ला तक्फुर , फ़-य-तअल्लमू-न मिन्हुमा मा युफ़र्रिकू-न बिही बैनल-मरइ व जौजिही , वमा हुम् बिज़ार्री-न बिही मिन् अ-हदिन इल्ला बि-इज्निल्लाहि , व य-तअल्लमू-न मा यजुर्रूहुम् वला यन्फ़अुहुम , व लकद् अलिमू ल-मनिश्तराहु मा लहू फ़िल्आख़िरति मिन् खलाकिन् , व लबिअ्-स मा शरौ बिही अन्फु-सहुम , लौ कानू यअलमून (102)
और जो वे उस चीज़ के पीछे पड़ गए जिसे शैतान सुलैमान की बादशाही पर थोपकर पढ़ते थे – हालाँकि सुलैमान ने कोई कुफ़्र नहीं किया था, बल्कि कुफ़्र तो शैतानों ने किया था; वे लोगों को जादू सिखाते थे – और न ही (ऐसा है जैसा कि वे कहते थे कि) बाबिल में दो फ़रिश्तों, हारूत और मारूत, पर जादू उतारा गया था। और वे (दो चालाक व्यक्ति) किसी को भी सिखाते न थे जब तक कि कह न देते, “हम तो बस एक परीक्षा हैं; तो तुम कुफ़्र में न पड़ना।” तो लोग उन दोनों से वह कुछ सीखते हैं, जिसके द्वारा पति और पत्नी में अलगाव पैदा कर दें – यद्यपि वे उससे किसी को भी हानि नहीं पहुँचा सकते थे। हाँ, यह और बात है कि अल्लाह के हुक्म से किसी को हानि पहुँचनेवाली ही हो – और वह कुछ सीखते हैं जो उन्हें हानि ही पहुँचाए और उन्हें कोई लाभ न पहुँचाए। और उन्हें भली-भाँति मालूम है कि जो उसका ग्राहक बना, उसका आख़िरत में कोई हिस्सा नहीं। कितनी बुरी चीज़ के बदले उन्होंने अपने प्राणों का सौदा किया, यदि वे जानते (तो ठीक मार्ग अपनाते)।

व लौ अन्नहुम् आमनू वत्तकौ ल-मसू-बतुम् मिन् अिन्दिल्लाहि खैरून् , लौ कानू यअ्लमून (103)*
और यदि वे ईमान लाते और डर रखते, तो अल्लाह के यहाँ से मिलनेवाला बदला कहीं अच्छा था, यदि वे जानते (तो इसे समझ सकते) ।

Alif Lam Mim Surah-2 रुकू- 13

या अय्युहल्लज़ी-न आमनू ला तकूलू राअिना व कूलुन्जुर्ना वस्मअू , व लिल्काफ़िरी-न अज़ाबुन अलीम (104)
ऐ ईमान लानेवालो! ‘राइना’ न कहा करो, बल्कि ‘उनज़ुरना’ कहो और सुना करो। और इनकार करनेवालों के लिए दुखद यातना है।

मा यवद्दुल्लज़ी-न क-फरू मिन अहिलल्-किताबि व ललमुश्रिकी-न अंय्यु नज्ज़-ल अलैकुम् मिन् खैरिम्-मिर्रब्बिकुम , वल्लाहु यख़्तस्सु बिरहमतिहि मंय्यशा-उ , वल्लाहु जुलफ़ज्लिल-अज़ीम (105)
इनकार करनेवाले नहीं चाहते, न किताबवाले और न मुशरिक (बहुदेववादी) कि तुम्हारे रब की ओर से तुमपर कोई भलाई उतरे, हालाँकि अल्लाह जिसे चाहे अपनी दयालुता के लिए ख़ास कर ले; अल्लाह बड़ा अनुग्रह करनेवाला है।

मा नन्सखू मिन् आयतिन् औ नुन्सिहा नअ्ति बिखैरिम् मिन्हा औ मिस्लिहा , अलम् तलम् अन्नल्ला-ह अला कुल्लि शैइन् क़दीर (106)
हम जिस आयत (और निशान) को भी मिटा दें या उसे भुला देते हैं, तो उससे बेहतर लाते हैं या उस जैसी दूसरी ही। क्या तुम जानते नहीं हो कि अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है?

अलम् तअ्लम् अन्नल्ला-ह लहू मुल्कुस्समावाति वल्अर्ज़ि , वमा लकुम् मिन् दुनिल्लाहि मिंव्वलिय्यिंव वला नसीर (107)
क्या तुम नहीं जानते कि आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है और अल्लाह से हटकर न तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक?

अम् तुरीदू-न अन् तस्अलू रसूलकुम् कमा सुइ-ल मूसा मिन् कब्लु , वमंय्-य-तबद्दलिल-कुफ्-र बिल्ईमानि फ़-कद् ज़ल-ल सवाअस्सबील (108)
(ऐ ईमानवालो! तुम अपने रसूल के आदर का ध्यान रखो) या तुम चाहते हो कि अपने रसूल से उसी प्रकार से प्रश्न और बात करो, जिस प्रकार इससे पहले मूसा से बात की गई है? हालाँकि जिस व्यक्ति ने ईमान के बदले इनकार की नीति अपनाई, तो वह सीधे रास्ते से भटक गया

वद्-द कसीरूम मिन् अहलिल-किताबि लौ यरूद्दूनकुम् मिम्-बअदि ईमानिकुम् कुफ्फारन् ह-सदम् मिन् अिन्दि अन्फुसिहिम् मिम्-बअ्दि मा तबय्य-न लहुमुल-हक्कु फ़अफू वस्फ़हू हत्ता यअ्तियल्लाहु बिअमरिही , इन्नल्ला-ह अला कुल्लि शैइन् क़दीर • (109)
बहुत-से किताबवाले अपने भीतर की ईर्ष्या से चाहते हैं कि किसी प्रकार वे तुम्हारे ईमान लाने के बाद फेरकर तुम्हे इनकार कर देनेवाला बना दें, यद्यपि सत्य उनपर प्रकट हो चुका है, तो तुम दरगुज़र (क्षमा) से काम लो और जाने दो यहाँ तक कि अल्लाह अपना फ़ैसला लागू कर दे। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।

व अक़ीमुस्सला-त व आतुज्जका-त , वमा तुकद्दिमू लिअन्फुसिकुम मिन् खैरिन् तजिदूहु अिन्दल्लाहि , इन्नल्ला-ह बिमा तअ्मलू-न बसीर (110)
और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो और तुम स्वयं अपने लिए जो भलाई भी पेश करोगे, उसे अल्लाह के यहाँ मौजूद पाओगे। निस्संदेह जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है।

व कालू लंय्यदखुलल जन्न-त इल्ला मन् का-न हूदन् औ नसारा , तिल-क अमानिय्युहुम , कुल हातू बुरहानकुम् इन् कुन्तुम् सादिक़ीन (111)
और उनका कहना है, “कोई व्यक्ति जन्नत में प्रवेश नहीं कर सकता सिवाय उसके जो यहूदी है या ईसाई है।” ये उनकी अपनी निराधार कामनाएँ हैं। कहो, “यदि तुम सच्चे हो तो अपने प्रमाण पेश करो।”

बला , मन् अस्ल-म वज्हहू लिल्लाहि व हु-व मुह्सिनुन् फ़-लहू अज्रूहू अिन्-द रब्बिही वला ख़ौफुन अलैहिम व ला हुम् यह्ज़नून (112) *
क्यों नहीं, जिसने भी अपने-आपको अल्लाह के प्रति समर्पित कर दिया और उसका कर्म भी अच्छे से अच्छा हो तो उसका प्रतिदान उसके रब के पास है और ऐसे लोगों के लिए न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे।

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 14

व कालतिल यहूदु लैसतिन्नसारा अला शैइवं व कालतिन्नसारा लैसतिल यहूदु अला शैइंव व हुम् यतलूनल्किता-ब , कज़ालि-क कालल्लज़ी-न ला यअलमू-न मिस्-ल कौलिहिम् फ़ल्लाहु यह्कुमु बैनहुम् यौमल-कियामति फ़ीमा कानू फ़ीहि यख़्तलिफून (113)
यहूदियों ने कहा, “ईसाइयों की कोई बुनियाद नहीं।” और ईसाइयों ने कहा, “यहूदियों की कोई बुनियाद नहीं।” हालाँकि वे किताब का पाठ करते हैं। इसी तरह की बात उन्होंने भी कही है जो ज्ञान से वंचित हैं। तो अल्लाह क़ियामत के दिन उनके बीच उस चीज़ के विषय में निर्णय कर देगा, जिसके विषय में वे विभेद कर रहे हैं।

व मन् अज्लमु मिम्मम्-म-न-अ मसाजिदल्लाहि अंय्युज्क-र फ़ीहस्मुहू व-सआ फी खराबिहा , उलाइ-क मा-का-न लहुम् अय्यद्खुलूहा इल्ला ख़ा-इफ़ी-न , लहुम् फ़िद्दुन्या खिज्युंव व-लहुम् फ़िल् आखिरति अ़ज़ाबुन अज़ीम (114)
और उससे बढ़कर अत्याचारी और कौन होगा जिसने अल्लाह की मस्जिदों को उसके नाम के स्मरण से वंचित रखा और उन्हें उजाड़ने पर उतारू रहा? ऐसे लोगों को तो बस डरते हुए ही उसमें प्रवेश करना चाहिए था। उनके लिए संसार में रुसवाई (अपमान) है और उनके लिए आख़िरत में बड़ी यातना नियत है।

व लिल्लाहिल् मश्रिकु वल्-मग्रिबु फ़-औनमा तुवल्लू फ़-सम्-म वज्हुल्लाहि , इन्नल्ला-ह वासिअन् अलीम (115)
पूरब और पश्चिम अल्लाह ही के हैं, अतः जिस ओर भी तुम रुख़ करो उसी ओर अल्लाह का रुख़ है। निस्संदेह अल्लाह बड़ी समाईवाला (सर्वव्यापी) सर्वज्ञ है।

व कालुत्-तख़ज़ल्लाहु व लदन सुब्हानहू , बल-लहू मा फिस्समावाति वल्अर्जि , कुल्लुल्लहू कानितून (116)
कहते हैं, अल्लाह औलाद रखता है – महिमावाला है वह! (पूरब और पश्चिम ही नहीं, बल्कि) आकाशों और धरती में जो कुछ भी है, उसी का है। सभी उसके आज्ञाकारी हैं।

बदीअुस्समावाति वलअर्जि , व इज़ा कज़ा अम्रन् फ़-इन्नमा यकूलु लहू कुन् फ़-यकून (117)
वह आकाशों और धरती का प्रथमतः पैदा करनेवाला है। वह तो जब किसी काम का निर्णय करता है तो उसके लिए बस कह देता है कि “हो जा” और वह हो जाता है।

व कालल्लज़ी-न ला यअलमू-न लौ ला युकल्लिमुनल्लाहु औ तअतीना आयतुन् , कज़ालि-क कालल्लज़ी-न मिन् कब्लिहिम् मिस्-ल कौलिहिम् , तशा-बहत् कुलू बुहुम , कद् बय्यन्नल – आयाति लिकौमिंय्यूकिनून (118)
जिन्हें ज्ञान नहीं वे कहते हैं, “अल्लाह हमसे बात क्यों नहीं करता? या कोई निशानी हमारे पास आ जाए।” इसी प्रकार इनसे पहले के लोग भी कह चुके हैं। इन सबके दिल एक जैसे हैं। हम खोल-खोलकर निशानियाँ उन लोगों के लिए बयान कर चुके हैं जो विश्वास करें।

इन्ना अरसल्ना-क बिल्हक्कि बशीरंव व-नज़ीरंव वला तुसूअलु अन् अस्हाबिल जहीम (119)
निश्चित रूप से हमने तुम्हें हक़ के साथ शुभ-सूचना देनेवाला और डरानेवाला बनाकर भेजा। भड़कती आग में पड़नेवालों के विषय में तुमसे कुछ न पूछा जाएगा।

व लन् तर्जा अन्कल्-यहूदु व लन्-नसारा हत्ता तत्तबि-अ मिल्ल-तहुम , कुल इन्-न हुदल्लाहि हुवल्-हुदा , व-ल-इनित्त-बअ-त अहवा-अहुम् बअ्दल्लज़ी जाअ-क मिनल-अिल्मि मा ल-क मिनल्लाहि मिव्वलिय्यिंव वला नसीर (120)
न यहूदी तुमसे कभी राज़ी होनेवाले हैं और न ईसाई, जब तक कि तुम उनके पंथ पर न चलने लग जाओ। कह दो, “अल्लाह का मार्गदर्शन ही वास्तविक मार्गदर्शन है।” और यदि उस ज्ञान के पश्चात जो तुम्हारे पास आ चुका है, तुमने उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया तो अल्लाह से बचानेवाला न तो तुम्हारा कोई मित्र होगा और न सहायक।

अल्लज़ी-न आतैनाहुमुल्-किता-ब यत्लूनहू हक्-क तिलावतिही , उलाइ-क युअ्मिनू-न बिही , व मंय्यक्फुर बिही फ़-उलाइ-क हुमुल ख़ासिरून (121)*
जिन लोगों को हमने किताब दी है उनमें वे लोग जो उसे उस तरह पढ़ते हैं जैसा कि उसके पढ़ने का हक़ है, वही उसपर ईमान ला रहे हैं, और जो उसका इनकार करेंगे, वही घाटे में रहनेवाले हैं।

Alif Lam Meem Surah-2 रुकू- 15

या बनी इस्-राई लज्कुरू निअ्मतियल्लती अन्अम्तु अलैकुम् व अन्नी फज्ज़ल्तुकुम् अलल आलमीन (122)
ऐ इसराईल की सन्तान! मेरी उस कृपा को याद करो जो मैंने तुमपर की थी और यह कि मैंने तुम्हें संसारवालों पर श्रेष्ठता प्रदान की।

वत्तकू यौमल्ला-तज्ज़ी नफ़्सुन् अन्नफसिन् शैअंव वला युक्बलु मिन्हा अदलुंव वला तन्फ़अुहा शफाअतुंव वला हुम् युन्सरून (123)
और उस दिन से डरो, जब कोई न किसी के काम आएगा, न किसी की ओर से अर्थदंड स्वीकार किया जाएगा और न कोई सिफ़ारिश ही उसे लाभ पहुँचा सकेगी और न उनको कोई सहायता ही पहुँच सकेगी।

व इज़िब्तला इब्राही-म रब्बुहू बि-कलिमातिन् फ़-अ-तम्म- हुन्-न , का-ल इन्नी जाअिलु-क लिन्नासि इमामन् , का-ल व मिन् जुर्रिय्यती , का-ल ला यनालु अह्दिज्-ज़ालिमीन (124)
और याद करो जब इबराहीम की परीक्षा उसके रब ने कुछ बातों में ली तो उसने उनको पूरा कर दिखाया। उसने (रब ने) कहा, “मैं तुझे सारे इनसानों का पेशवा बनानेवाला हूँ।” उसने निवेदन किया, “और मेरी सन्तान में से भी।” उसने (रब ने) कहा, “ज़ालिम मेरे इस वादे के अन्तर्गत नहीं आ सकते।”

व इज् जअल्-नल्-बै-त मसा-बतल् लिन्नासि व अमनन् , वत्तखिजू मिम् मक़ामि इब्राही-म मुसल्लन् , व अहिद्ना इला इब्राही-म व इस्माली-ल अन् तहि्हरा बैति-य लित्ता-इफ़ी-न वल् आकिफ़ी-न वर्रूक्क-अिस्सुजूद (125)
और याद करो जब हमने इस घर (काबा) को लोगों को लिए केन्द्र और शान्तिस्थल बनाया – और, “इबराहीम के स्थल में से किसी जगह को नमाज़ की जगह बना लो।” – और इबराहीम और इसमाईल को ज़िम्मेदार बनाया कि “तुम मेरे इस घर को तवाफ़ करनेवालों और एतिकाफ़ करनेवालों के लिए और रुकू और सजदा करनेवालों के लिए पाक-साफ़ रखो।

व इज् का-ल इब्राहीमु रब्बिअ्ल हाज़ा ब-लदन् आमिनंव्-वरज़ुक् अहलहू मिनस्-स-मराति मन् आम-न मिन्हुम् बिल्लाहि वलयौमिल आखिरि , का-ल वमन् क-फ-र फ़-उमत्तिअु़हू कलीलन सुम्-म अज्तरर्रूहू इला अज़ाबिन्नारि , व बिअसल्-मसीर (126)
और याद करो जब इबराहीम ने कहा, “ऐ मेरे रब! इसे शान्तिमय भू-भाग बना दे और इसके उन निवासियों को फलों की रोज़ी दे जो उनमें से अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाएँ।” (रब ने) कहा, “और जो इनकार करेगा थोड़ा फ़ायदा तो उसे भी दूँगा, फिर उसे घसीटकर आग की यातना की ओर पहुँचा दूँगा और वह बहुत-ही बुरा ठिकाना है!”

व इज् यरफ़अु़ इब्राहीमुल् कवाअि-द् मिनल बैति व इस्माअीलु , रब्बना तकब्बल मिन्ना , इन्न-क अन्तस्समीअुल-अलीम (127)
और याद करो जब इबराहीम और इसमाईल इस घर की बुनियादें उठा रहे थे (तो उन्होंने प्रार्थना की), “ऐ हमारे रब! हमारी ओर से इसे स्वीकार कर ले, निस्संदेह तू सुनता-जानता है।

रब्बना वज्अल्ना मुस्लिमैनि ल-क व मिन् जुर्रिय्यतिना उम्मतम् मुस्लि-मतल ल-क व अरिना मनासि-क-ना व तुबू अलैना इन्न-क अन्तत्तव्वाबुर्-रहीम (128)
ऐ हमारे रब! हम दोनों को अपना आज्ञाकारी बना और हमारी संतान में से अपना एक आज्ञाकारी समुदाय बना और हमें हमारे इबादत के तरीक़े बता और हमारी तौबा क़बूल कर। निस्संदेह तू तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है।

रब्बना वब्असू फ़ीहिम् रसूलम् मिन्हुम यत्लू अलैहिम् आयाति-क व युअल्लिमुहुमुल-किता-ब वल-हिक्म-त व-युज़क्कीहिम , इन्न-क अन्तल अज़ीजुल-हकीम (129)*
ऐ हमारे रब! उनमें उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठा जो उन्हें तेरी आयतें सुनाए और उनको किताब और तत्वदर्शिता की शिक्षा दे और उन (की आत्मा) को विकसित करे। निस्संदेह तू प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।”

Alif Lam Mim Surah In Hindi रुकू- 16

व मंय्यरगबु अम्-मिल्लति इब्राही-म इल्ला मन् सफ़ि-ह नफ्सहू , व-ल-कदिस्तफैनाहु फिद्दुन्या व इन्नहू फ़िल-आखिरति लमिनस्सालिहीन (130)
कौन है जो इबराहीम के पंथ से मुँह मोड़े सिवाय उसके जिसने स्वयं को पतित कर लिया? और उसे तो हमने दुनिया में चुन लिया था और निस्संदेह आख़िरत में उसकी गणना योग्य लोगों में होगी।

इज़ का-ल लहू रब्बुहू असलिम् का-ल अस्लम्तु लि-रब्बिल् आलमीन (131)
क्योंकि जब उससे उसके रब ने कहा, “मुस्लिम (आज्ञाकारी) हो जा।” उसने कहा, “मैं सारे संसार के रब का मुस्लिम हो गया।”

व वस्सा बिहा इब्राहीमु बनीहि व यअकूबु , या बनिय्-य इन्नल्लाहस्तफ़ा लकुमुद्दी-न फ़ला तमूतुन्-न इल्ला व अन्तुम् मुस्लिमून (132)
और इसी की वसीयत इबराहीम ने अपने बेटों को की और याक़ूब ने भी (अपनी सन्तानों को की) कि, “ऐ मेरे बेटो! अल्लाह ने तुम्हारे लिए यही दीन (धर्म) चुना है, तो इस्लाम (ईश-आज्ञापालन) के अतिरिक्त किसी और दशा में तुम्हारी मृत्यु न हो।”

अम् कुन्तुम् शु-हदा-अ इज् ह-ज़-र यअकूबल-मौतु इज़् का-ल लि-बनीहि मा तअबुदू-न मिम्-बअ्दी , कालू नअ्बुदु इलाह-क व इला-ह आबाइ-क इब्राही-म व इस्माअी़-ल व इसहा-क इलाहंव्-वाहिदंव-व नह्नु लहू मुस्लिमून (133)
(क्या तुम इबराहीम के वसीयत करते समय मौजूद थे?) या तुम मौजूद थे जब याक़ूब की मृत्यु का समय आया? जब उसने अपने बेटों से कहा, “तुम मेरे पश्चात किसकी इबादत करोगे?” उन्होंने कहा, “हम आपके इष्ट-पूज्य और आपके पूर्वज इबराहीम और इसमाईल और इसहाक़ के इष्ट-पूज्य की बन्दगी करेंगे – जो अकेला इष्ट-पूज्य है, और हम उसी के आज्ञाकारी (मुस्लिम) हैं।”

तिल-क उम्मतुन् कद् ख़लत् लहा मा क-सबत् व लकुम् मा क-सब्तुम् व ला तुस्अ्लू-न अम्मा कानू यअ्मलून (134)
वह एक गरोह था जो गुज़र चुका, जो कुछ उसने कमाया वह उसका है, और जो कुछ तुमने कमाया वह तुम्हारा है। और जो कुछ वे करते रहे उसके विषय में तुमसे कोई पूछताछ न की जाएगी।

व कालू कूनू हूदन् औ नसारा तह्तदू , कुल बल मिल्ल-त इब्राही-म हनीफ़न् , व मा का-न मिनल् – मुश्रिकीन (135)
वे कहते हैं, “यहूदी या ईसाई हो जाओ तो मार्ग पा लोगे।” कहो, “नहीं, बल्कि इबराहीम का पंथ अपनाओ जो एक (अल्लाह) का हो गया था, और वह बहुदेववादियों में से न था।”

कूलू आमन्ना बिल्लाहि वमा उन्जि-ल इलैना वमा उन्ज़ि-ल इला इब्राही-म व इस्माअी-ल व इस्हा-क व यअकू-ब वल-अस्बाति वमा ऊति-य मूसा व अीसा वमा ऊतियन्नबिय्यू-न मिर्रब्बिहिम् ला नुफ़र्रिकु बै-न अ-हदिम्-मिन्हुम् व नह्नु लहू मुस्लिमून (136)
कहो, “हम ईमान लाए अल्लाह पर और उस चीज़ पर जो हमारी ओर उतरी और जो इबराहीम और इसमाईल और इसहाक़ और याक़ूब और उनकी संतान की ओर उतरी, और जो मूसा और ईसा को मिली, और जो सभी नबियों को उनके रब की ओर से प्रदान की गई। हम उनमें से किसी (नबी) के बीच अन्तर नहीं करते और हम केवल उसी के आज्ञाकारी हैं।”

फ़-इन् आमनू बिमिस्लि मा आमन्तुम् बिही फ़-कदिहतदौ व इन तकल्लौ फ-इन्नमा हुम् फ़ी शिकाकिन् फ़-स-यक्फी-कहुमुल्लाहु व-हुवस्समीअुल अलीम (137)
फिर यदि वे उसी तरह ईमान लाएँ जिस तरह तुम ईमान लाए हो, तो उन्होंने मार्ग पा लिया। और यदि वे मुँह मोड़ें, तो फिर वही विरोध में पड़े हुए हैं। अतः तुम्हारी जगह स्वयं अल्लाह उनसे निबटने के लिए काफ़ी है; वह सब कुछ सुनता, जानता है।

सिब-गतल्लाहि व मन् अहसनु मिनल्लाहि सिब-गतंव व नह्नु लहू आबिदून (138)
(कहो) “अल्लाह का रंग ग्रहण करो, उसके रंग से अच्छा और किसका रंग हो सकता है? और हम तो उसी की बन्दगी करते हैं।”(

कुल अतुहाज्जू-नना फ़िल्लाहि व हुव रब्बुना व रब्बुकुम् व लना अअ्मालुना व लकुम् अअ्मालुकुम व नह्नु लहू मुख़्लिसून (139)
कहो, “क्या तुम अल्लाह के विषय में हमसे झगड़ते हो, हालाँकि वही हमारा रब भी है, और तुम्हारा रब भी? और हमारे लिए हमारे कर्म हैं और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म। और हम तो बस निरे उसी के हैं।

अम् तकूलू-न इन्-न इब्राही-म व इस्माअी-ल व इस्हा-क व यअ्कू-ब वल्-अस्बा-त कानू हूदन औ नसारा , कुल अ-अन्तुम् अअ्लमु अमिल्लाहु व मन् अ़ज्लमु मिम्मन् क-त-म शहा-दतन् अिन्दहू मिनल्लाहि , व मल्लाहु बिग़ाफ़िलिन् अम्मा तअ्मलून (140)
या तुम कहते हो कि इबराहीम और इसमाईल और इसहाक़ और याक़ूब और उनकी संतान सब के सब यहूदी या ईसाई थे?” कहो, “तुम अधिक जानते हो या अल्लाह? और उससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा, जिसके पास अल्लाह की ओर से आई हुई कोई गवाही हो, और वह उसे छिपाए? और जो कुछ तुम कर रहे हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है।”(

तिल-क उम्मतुन् कद् ख़लत् लहा मा क-सबत् व लकुम् मा क-सब्तुम् वला तुस्अलू-न अम्मा कानू यअ्मलून (141)*
वह एक गरोह था जो गुज़र चुका, जो कुछ उसने कमाया वह उसके लिए है और जो कुछ तुमने कमाया वह तुम्हारे लिए है। और तुमसे उसके विषय में न पूछा जाएगा, जो कुछ वे करते रहे हैं।

आगे के रुकू को पढ़ने के लिए हमारी दूसरी पोस्ट को पढ़ें…. अलिफ़ लाम मीम रुकू 17-40